महत्वपूर्ण सुझाव और अपील
मेरे प्रिय साथियों
‘‘नये चुनाव हों जिससे फिर एकता और विष्वास वाहाल हो’’ः प्रभात कुमार त्रिपाठी
आज मैने एक पत्र जारी करने के लिये कहा था जिसमंें कुछ खुलाषा करने की
बात कहीं थी। कटुता न फेले इस लिये मे उनका नाम नहीं दे रहा हूॅ। मे एकता
का प्रयास कर रहा हूॅ न कि विखराव का। इस लिये अपने सभी 614 पत्रकार
भाईयों व पूरे प्रदेष के वह पत्रकार भाईयों के लिये यह अहम अपील जारी कर
रहा हूॅ जो मेरे वजूद और विष्वास को हमेषा से देखते आये है। साथियों ‘सच
का साथ सभी देते है जो वाकई समाज में सच सुनना और देखना पसंद करते है।
षडयंत्र कारी हमेषा षडयंत्र रचते है और आपनी मठाधाीषी को बनाये रखने के
लिये कुछ चेहरों का इस्तेमाल करते है। पिछले करीब चार दषकों से चली आ रही
यूपी की उत्तर प्रदेष राज्य मुख्यालय संवाददाता समिति पत्रकारोें की
कमेटी का जो चीरहरण चुनिंदा तीन चार सीनियर पत्रकारों के आपसी हित तथा
स्वार्थो के चलते हुआ है उनके मे नाम नहीं प्रकाषित करना चाहता हूॅ। सभी
लोग जानते र्है कि वह लोग कौन है। में नाम देकर कड़ुआहट नहीं फैलाना
चाहता। मेरा मकसद सिर्फ सच बात अपने फोरम में रखना है। मानना या न मानना
फोरम के सम्मानित साथियों का काम है। उन तीन चार लोगों ने अपनी जिद्द व
अहंकार के चलते पत्रकारों को चैराहे पर लाकर खड़ा कर दिया है। यह स्थित
सुखद नहीं है। मै एकता चाहता हूॅ न कि विखराव। मुझे दोनों चुनाव में रहने
का मौका मिला मै किसी गुट का कहा जाऊ ऐसा मैने दोनों जगहो से चुनाव लड़
कर नहीं होने दिया। मुझे इस दौरान कुछ एसे सीनियर पत्रकार भी मिले जो
वास्तव में पत्रकारित के पेषे को सम्मान देना चाहते है न कि किसी गुटवाजी
का नेता बनने की ख्वाईस रखते है। कुछ तीन चार लोगों ने अपनी मठाधीषी
बचाये रखने के लिये कुछ चेहरों का जातिगत आधार पर इस्तेमाल करके अपनी
महत्वता बनाये रखने का चालाकी भरा निर्णय लिया। इसका परिणाम यह हुआ कि
उनकी यह मंषा अवष्य पूरी हो गई कि उनके इषारे पर कठपुतली की तरह नाचने
वाले चेहरे चुनाव के हीरो बन गयेे। वह इस प्रयास में सफल भी हो गये। दो
कमेटी बन गई दो अध्यक्ष हो गये और कई पदाधिकारी भी चुन लिये गये। लेकिन
वह जीत कर भी हार गये। उनकी क्या महत्वता रही कि उन्है कल एनेक्सी में
कोई भी मीटिंग नहीं करने दी गई। एक नोटिस चस्पा कर दिया गया कि यहाॅ पर
सिर्फ पढ़ने लिखने की बात हो न कि गुटवाजी और बैठक की। एनेक्सी में बैठने
वाले मीडिया सेंटर को अब कुछ दिनों में बंद करने का भी एलान किया जाये तो
इससे इंकार नहीं किया जा सकता है। क्योकि हम लोगों ने अपनी आपसी लड़ाई को
दो जगह लड़ कर उन्है खुद मौका दिया है। जो हार गये उनकी क्या महत्वता कम
हो गई वह भी अपना काम कल से षुरू कर चुके है। उन्है भी पत्रकार के रूप
में जाना जाता है। मै किसी तीसरी कमेटी व चैथी कमेटी बना ली जाये जिसकी
चर्चा चल पड़ी है इसकी मजम्मत करता हूॅ। जो लोग यह बात करते है वह चाहते
है कि हम गुट बनाकर फिर उस गुट के नेता हो जाये और पर्दे की आड़ में
मठाधीषी चलाये रखे ऐसा अगर हुआ तो उनमें और हममे फिर अंतर ही क्या होगा।
अगर ऐसा हुआ तो यह दुखद पहलू होगा यूपी की पत्रकारिता के लिये कि यह
कमेटी कई गुटों में विखर जायेगी। इसकी जिम्मेदारी कुछ चुनिंदा ही लोगों
की होगी। में आज अपने साथियों के बीच बात सिर्फ इतनी रखना चाहता हूॅ कि
इस गहरे संकट को बचाने के लिये दोनों कमेटी या तो स्वेच्छा से पत्रकारिता
के हितो/रक्षा/आत्मसम्मान को बचाने के लिये इस्तीफा देकर नया चुनाव कराने
का एलान कर दे। नही तो कुछ दिनों में कुछ नया एलान करने के लिये मजबूर
होना पड़ेगा।
पत्रकार समाज को नई दिषा देने का काम करते है। मेरा नया अभियान आज से
षुरू हो गया है उन 614 पत्रकारों के सम्मान के लिये जो मठाधीषों के इषारे
पर नहीं अपने स्वाभिमान और अपने वजूद से जाने जाते है। हम किसी गुट से ना
जाने जाए हमे अपने नाम से जाना जाए यही माहौल और विष्वास बनाये रखने के
लिये मै आज से ही नये चुनाव की मांग कर रहा हूॅ। जिस दोनों कमेटी के
चुनाव को गुटवाजी भरा चुनाव अहंकार से भरा चुनाव और मान्यता न देने वाला
चुनाव माना जाये वह पूरी तरह से वेइमानी है। ‘‘नया चुनाव’’ फिर उसी रूप
और विष्वास तथा मजबूत भरी पत्रकारिता के लिये जाना जाये जो पुरानी स्थित
को बाहाल फिर से कर सके। मुझे चुनाव नहीं लड़ना है। इस अपील को मेरे उस
भाव से जोड़कर देखा जाये जो मे 614 सम्मानित पत्रकारों के सम्मान को
बचाये रखने के लिये ब्यक्त कर रहा हूॅ जिसके लिये हमारे भाई जाने जाते
है। इसे नेतागिरी से जोड़कर न देखा जाये। मुझे कोई सरकार/मुख्यमंत्री को
अपना चेहरा नहीं दिखाना है कोई ऐसा काम नहीं कराना है जो करोड़ो के
आंकड़े से जुड़ा हो। मेरा प्रयास है कि सिर्फ नये स्वरूप/नये विष्वास और
पत्रकारिता के इस गहरे संकट को दूर करना है। मेरा यह पत्र और प्रयास उन
सभी लोगों को यह बताने का है कि एकता में ही मजबूती होती है। सरकार हो या
फिर हमारा समाज हो या फिर कोई भी स्तंभ हो अगर हम एक है तो हमे मजबूती
भरी निगाहों से देखा जाता है। अगर हम विखराव में है तो इसका फायदा कुछ
लोग उठाने का काम करते है। मेरा कहना है कि गुटवाजी या फिर किसी के इषारे
पर हम अपनी बनी बनाई समाज में इज्जत को चैराहे पर नीलाम नहीं होने देगें।
आज एनेक्सी में नोटिस चस्पा हुआ है कल को एनेक्सी का वह हाॅल जहाॅ हम सभी
लोग एक दो घंटे बैठकर आपस में बातचीत और चायपान करते है हमारी गुटवाजी के
चलते बंद हो जाये। अगर ऐसा होता है तो वह हमारे सम्मान के लिये काफी घातक
होगा। ऐसी स्थित आये उसके पहले ही हम लोगों को एक नई पहल का स्वागत करते
हुये नये चुनाव का एलान स्वंय करना होगा। अगर ऐसा नहीं हुआ तो हम कुछ
दिनों बाद सभी पत्रकारों का आहवाहन करके एक बैठक किसी अन्य
स्थान(एनेक्सी/विधानसभा मीडिया सेंटर छोड़कर) जहाॅ पर सभी आ सके बैठ कर
खुद एक नई चुनाव की तिथि का एलान करके नये चुनाव का विगुल बजा दिया
जायेगा। जो सभी के लिये हितकर होगा। मेरे कुछ निम्न विदुंओं पर सुझाव है।
विन्दु इस प्रकार से है।
1,नये चुनाव में इस बार कोई मतदाता ष्षुल्क 100/10 रूपये नहीं लिया
जायेगा। सभी साथियों के सूचना के मान्यता कार्ड से ही उसे वोटर मानकर
मतदान करने दिया जायेगा। पिछले चुनाव में कई मतदाता कार्ड होने के वाबजूद
मतदान नहीं कर सके। क्योकि उनका पैसा नहीं जमा था। जिसमें एक महिला थी जो
तीन घंटे बैठी रही और मतदान नहीं कर सकी। जो गलत है। यह कोई संसद या
विधानसभा का चुनाव नहीं है। यह सिर्फ आपसी भाईचारे का चुनाव था। लोकतंत्र
में ऐसा नहीं होना चाहिये।
2, कोई मठाधीष अपने स्वंय द्वारा चुनाव आयोग का गठन नहीं करेगा। यह लोग
हमेषा से उन्ही अपने गु्रप के लोगों को आयोग में बैठा कर चुनाव करा लेते
है जिससे यह पूरा बबाल खड़ा हो गया है। लोग आरोप प्रत्यारोप लगाकर फर्जी
चुनाव की बात कर रहे है। सभी नये पुराने पत्रकारों से हटकर कोई तीसरे को
चुनाव की जिम्मेदारी दी जाये जिससे उसकी विष्वसनीयता पर सवाल न खड़े हो।
ऐसे लोग चुनाव कराये जो समाज से जुड़े लोग हो।
3, ईवीएम मषीन से चुनाव क्यों नहीं। 614 मतदाता है। समय लगता है। फर्जी
मतदान का आरोप भी न लग सके इसके लिये ईवीएम मषीन का प्रयोग हो और आपसी
विष्वास को फिर से बाहाल किया जा सके।
मेरा मानना है कि अगर इन प्रयासों से कुछ दिनों पूर्व टूट चुकी (दो गुटों
में बटी कमेटी) उत्तर प्रदेष राज्य मुख्यालय संवाददाता समिति का पुराना
स्वरूप नये स्वरूप में पारदर्षी एकता और मजबूत संगठन के रूप में वापसी कर
सकेगा तो मेरा यह प्रयास सभी उन 614 साथियों के उस सम्मान को फिर वाहाल
करने में कामयाब होगा जो हमेषा से था। मुझे अत्यंत खुषी होगी। सभी
साथियों से माफी चाहता हूॅ कि इसे राजनीति से जोड़कर न देखे इसे अपने
एकता के मजबूत स्वरूप से जोड़कर देखे। अतीत पर हमे झांक कर देखना चाहिये
लेकिन आने वाले कल के लिये मजबूत प्रयास करते रहना चाहिये यही मेरा मकसद
है। ईष्वर मुझे अपने मकसद में आप सभी के स्नेह और प्यार से जरूर कामयाब
करेगा। आप इस अपील पर अपना सुझाव अवष्य दे। धन्यवाद।
आप सभी का अपना भाई
प्रभात कुमार त्रिपाठी
राज्य मुख्यालय मान्यता प्राप्त संवाददाता
संयोजक
पत्रकार एकता मंच
मो0 9450410050